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मल्टीग्रेन आटा पौष्टिकता से भरपूर होता है, तभी तो इस का प्रयोग विभिन्न बीमारियों से बचाव करता है..
रोटी हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का मुख्य स्रोत है। अनेकानेक व्यंजन खा लेने के बाद भी हमें संतुष्टि केवल रोटी खाने पर ही होती है। लगभग हर अनाज कार्बोहाइड्रेट का मुख्य स्रोत होता है। आमतौर पर भारतीय घरों में रोटी बनाने के लिए गेहूं, बाजरा, मक्का और ज्वार जैसे अनाज का प्रयोग किया जाता है। अधिकांश घरों में मूलत: गेहूं की सादी रोटियां ही बनाई जाती हैं, परंतु गेहूं की रोटी स्वादिष्ठ अधिक, पौष्टिक कम होती है। इसलिए गेहूं में यदि अन्य अनाज को मिला कर आटा पिसवाया जाए तो ऐसे आटे से बनी रोटी की पौष्टिकता बढ़ जाती है. इस प्रकार के आटे को मल्टीग्रेन आटा या कौंबिनेशन फ्लोर कहा जाता है। मल्टीगे्रन आटे से बनी रोटी विभिन्न प्रकार के रोगों में भी लाभदायक होती है।
कैसे तैयार करें मल्टीग्रेन आटा
इस प्रकार का आटा तैयार करने के लिए गेहूं तथा अन्य अनाज का अनुपात 3-2 का रखें। मसलन, यदि आप को 5 किलोग्राम आटा तैयार करना है तो गेहूं की मात्रा 3 किलोग्राम तथा सोयाबीन, मक्का, जौ, चना आदि अनाज की मात्रा 500-500 ग्राम रखें। यदि आप बाजार का पैक्ड आटा प्रयोग करती हैं, तो इसी अनुपात में गेहूं के आटे में अन्य अनाज का आटा मिला कर प्रयोग करें।
विभिन्न रोगों में मल्टीग्रेन आटे का उपयोग
मधुमेह के रोगी
5 किलोग्राम गेहूं के आटे में डेढ़ किलोग्राम चना, 500 ग्राम जौ और 50 ग्राम मेथीदाना मिला कर पिसवाएं। मेथी ब्लडशुगर को नियंत्रित करती है।
बढ़ती उम्र के बच्चों के लिए
5 किलोग्राम गेहूं के आटे में प्रोटीन के मुख्य स्रोत 500 ग्राम सोयाबीन, 1 किलोग्राम चना और 500 ग्राम जौ मिला कर पिसवाए गए आटे की रोटी खाने से बढ़ती उम्र के बच्चों को लाभ होता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए
गेहूं के आटे में सोया, पालक, मेथी, बथुआ और लौकी जैसी हरी सब्जियों और थोड़ी सी अजवाइन का मिला कर उस का प्रयोग करना चाहिए। मेनोपौज की प्रक्रिया से गुजर चुकी महिलाओं के शरीर में हारमोन परिवर्तित हो जाते हैं। ऐसे में अधिकतर महिलाओं को हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल और डायबिटीज जैसी बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसी स्थिति में 5 किलोग्राम गेहूं, 1 किलोग्राम सोयाबीन, चना और 1 किलोग्राम जौ मिला कर उस आटा का प्रयोग करें।
दुबलेपन और कब्ज के लिए
5 किलोग्राम गेहूं में 1 किलोग्राम चना और 1 किलोग्राम जौ डाल कर आटा पिसवाएं। फिर इस में विभिन्न हरी सब्जियां डाल कर प्रयोग करें। इन लोगों को फाइबर्स की आवश्यकता रहती है, जिन की पूर्ति चना, जौ और हरी सब्जियां कर देती हैं।
मोटापे के लिए
गेहूं के आटे के बजाय केवल चना, ज्वार, बाजरा जैसे विभिन्न अनाज से बनी रोटी का प्रयोग करना चाहिए।
ब्लडप्रैशर के रोगियों के लिए
5 किलोग्राम गेहूं के आटे में 500 ग्राम सोयाबीन, 1 किलोग्राम चना और 250 ग्राम अलसी मिला कर उसे प्रयोग करना चाहिए।
आटा सदैव मोटा पिसवाएं और बिना छाने चोकरयुक्त ही प्रयोग करें। इस से आप के पाचनतंत्र को भोजन पचाने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि चोकर में निहित फाइबर्स रोटी को सुपाच्य बना देते हैं।
रोटी सदैव बिना घी लगाए ही खाएं, क्योंकि घी लगी रोटी गरिष्ठ और अधिक कैलोरीयुक्त हो जाती है, जो शीघ्र पचती नहीं है।
साभार :-
सुख सागर ट्रस्ट
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