
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कभी सपने में भी इस तरह के विरोध का नहीं सोचा होगा कि केदारनाथ जी के इतने नजदीक आकर भी उन्हें बिना दर्शनों के जाना पड़ेगा। त्रिवेंद्र सिंह रावत का अपने मुख्यमंत्रित्व काल में देवस्थानम बोर्ड का गठन करना आज उस वक़्त उन्हें भारी पड़ गया, जब उन्हें पंडा समाज, तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ से बाबा केदार के दर्शनों के बिना ही धक्के देकर बैरंग लौटा दिया।
जानकारी के अनुसार आज सोमवार सुबह सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बाबा केदारनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचे। जहा उन्हें तीर्थ पुरोहितों के विरोध का सामना करना पड़ा। तीर्थ पुरोहितों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को संगम पुल पर रोका और धर्म विरोधी बताते हुए धक्का-मुक्की कर उन्हें बाबा के दर्शन नहीं करने दिए और बैरंग लौटा दिया।
देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की तीर्थ पुरोहित समाज लगातार मांग करता आ रहा है जिसे लेकर वहा के हक हकुकधारी पिछले कई दिनों से आंदोलनरत है, वहीं देवस्थानम बोर्ड पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्वकाल मेे गठित हुआ था।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को तीर्थ पुरोहितो ने केदारनाथ से बैरंग लौटा दिया, उन्हें मंदिर के दर्शन नहीं करने दिए। वहीं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत को भी वापस लौटा दिया गया। प्रधानमन्त्री मोदी के केदारनाथ दौरे से पूर्व सरकार के मंत्रियों, विधायकों को लेकर तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी कहीं कोई बड़ी मुसीबत ना बन जाए।